समंदर की लहरों को किनारा नही मिला वो हर सु लेकिन, उसका नजारा नही मिला धन दौलत थी, मेरे पास हम सबके थे, पर आज मेरी ग़रीबी कोई हमारा नहीं मिला पिता ने पढ़ा लिखा कर बच्चे को लायक बनाया , पर इस बुढ़ापे मे जालिम बेटे का सहारा नही मिला ©संजय जालिम " आज़मगढी" # सहारा नही मिला#