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चाय की चुस्कियाँ भी फीकी-फीकी लगे। तन्हाई जुबान को

चाय की चुस्कियाँ भी फीकी-फीकी लगे।
तन्हाई जुबान को अब बड़ी तीखी लगे।

न होती मुमकिन गुफ़्तगू इन तस्वीरों से,
किसी हमदर्द का साथ क्यों जरूरी लगे?

शाम को लौटकर आऊँ चाय की तलब लेकर,
बातें बहुत सी दिन की जब बचकानी लगे।

खाली नहीं होता है कप शब ढल जाती है,
एक घूँट भी दरिया-ए-दर्द-ए-मेहरबानी लगे।

ठंडी हो जाती है जब मरासिम की गर्माहट,
चाय की चुस्कियों में घुली ख़ुशी बेमानी लगे। ❤प्रतियोगिता-738❤
   
👍🏻चित्र प्रतियोगिता - 210👍🏻

🤗आज की चित्र प्रतियोगिता के अंतर्गत आपको चित्र को ध्यान में रखते हुए लिखना है I ध्यान रहे कि शब्द सीमा चित्र के ऊपर ही अंकित हो सके उतनी रहे I🤗

🌟 पहले सावधानी पूर्वक "CAPTION" पढ़ें और दी हुई चुनौती को ध्यान में रखते हुए अपने ख़ूबसूरत शब्दों एवं भावों के साथ अपने एहसास कहें।
चाय की चुस्कियाँ भी फीकी-फीकी लगे।
तन्हाई जुबान को अब बड़ी तीखी लगे।

न होती मुमकिन गुफ़्तगू इन तस्वीरों से,
किसी हमदर्द का साथ क्यों जरूरी लगे?

शाम को लौटकर आऊँ चाय की तलब लेकर,
बातें बहुत सी दिन की जब बचकानी लगे।

खाली नहीं होता है कप शब ढल जाती है,
एक घूँट भी दरिया-ए-दर्द-ए-मेहरबानी लगे।

ठंडी हो जाती है जब मरासिम की गर्माहट,
चाय की चुस्कियों में घुली ख़ुशी बेमानी लगे। ❤प्रतियोगिता-738❤
   
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🤗आज की चित्र प्रतियोगिता के अंतर्गत आपको चित्र को ध्यान में रखते हुए लिखना है I ध्यान रहे कि शब्द सीमा चित्र के ऊपर ही अंकित हो सके उतनी रहे I🤗

🌟 पहले सावधानी पूर्वक "CAPTION" पढ़ें और दी हुई चुनौती को ध्यान में रखते हुए अपने ख़ूबसूरत शब्दों एवं भावों के साथ अपने एहसास कहें।
akankshagupta7952

Vedantika

New Creator

❤प्रतियोगिता-738❤ 👍🏻चित्र प्रतियोगिता - 210👍🏻 🤗आज की चित्र प्रतियोगिता के अंतर्गत आपको चित्र को ध्यान में रखते हुए लिखना है I ध्यान रहे कि शब्द सीमा चित्र के ऊपर ही अंकित हो सके उतनी रहे I🤗 🌟 पहले सावधानी पूर्वक "CAPTION" पढ़ें और दी हुई चुनौती को ध्यान में रखते हुए अपने ख़ूबसूरत शब्दों एवं भावों के साथ अपने एहसास कहें।