तुम्हारे बारे में सोचते हुए मैंने तुमसे ज्यादा खुद को पाया था तुम मेरे और मेरी अंतरात्मा के बीच पुल का कार्य करती रही तुमने सदैव मुझे विस्तार दिया वह आसमान उपलब्ध कराया जो मुझे चाहिए था