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थोड़े-से नासमझ बन चुप बैठे रहे हम, वो कहते गए और ह

थोड़े-से नासमझ बन चुप बैठे रहे हम,
वो कहते गए और हम उनके बातों पर ऐतबार करते रहे।

जानते थे उनका सच की हमसे जालसाज़ कर रहे हैं वो,
फिर भी उनके सच बोलने तक इंतजार करते रहे।

वक़्त बीतता गया और झूठ का सागर गहरा होता चला गया,
और हम यूहीं उन्हें नादान समझ माफ़ करते रहे।

झूठ की हद देख, कांटों सी चुभन हो रही थी मन में,
फिर भी ख़ामोश हो, दर्द अपने हिस्से और ख़ुशी उनके नाम
 करते रहे। #cheat
#maafi
#nojotepoem
#hatequotes
थोड़े-से नासमझ बन चुप बैठे रहे हम,
वो कहते गए और हम उनके बातों पर ऐतबार करते रहे।

जानते थे उनका सच की हमसे जालसाज़ कर रहे हैं वो,
फिर भी उनके सच बोलने तक इंतजार करते रहे।

वक़्त बीतता गया और झूठ का सागर गहरा होता चला गया,
और हम यूहीं उन्हें नादान समझ माफ़ करते रहे।

झूठ की हद देख, कांटों सी चुभन हो रही थी मन में,
फिर भी ख़ामोश हो, दर्द अपने हिस्से और ख़ुशी उनके नाम
 करते रहे। #cheat
#maafi
#nojotepoem
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