उलझी उलझी जिंदगी में उलझी उलझी तुम आती हो , उलझे उलझे बालों को हाथों से सुलझाती हो, एक नशा सा फैल जाता है ,यह मौसम का असर है या तेरी आंखों का कहर है , जो सदियों से वीराना था आज लगता शहर है , बहते पानी की तरह तेरी आवाज मुझे अच्छी लगती है, ना जाने क्यों , हर बात तेरी मुझे सच्ची लगती है ना जाने क्यों , सिमट जाती है मेरी हर प्यास तेरी आंखों के पानी में , हर चाहत हो जाती है रूबरू तेरे एक नजर आने में , क्या कहूं काश तेरे दीदार से जिंदगी यूं ही चलती रहती , पलकों की आड़ में काजल की छांव में शाम यूं ही ढलती रहती , आज भी गुलाब है तेरे नाम का कब्र पर मेरे ,, वरना दिल के वीराने में तितली यूं ही नहीं मचलती रहती... Written by : yogesh verma... #kasak #MTVHustle #poem #mohobbat #nojoto #nojotohindi #MtvHustle