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भीड़ से अलग एक चीज़ सीखने को मिली ज़िंदगी के सफ़र

भीड़ से अलग 
एक चीज़ सीखने को मिली 
ज़िंदगी के सफ़र में 
मीठी चीज़ सबको अच्छी लगती है 
चाहे वो चाय हो या जुबां 
कड़वी चीज़ बेकार लगती है 
चाहे वो कॉफी हो या सच
दोनों के मायने बदल जाते हैं 
क्यूंकि दोनों साथ जमती नहीं हैं

©Nitu Singh जज़्बातदिलके
  भीड़ से अलग 
एक चीज़ सीखने को मिली 
ज़िंदगी के सफ़र में 
मीठी चीज़ सबको अच्छी लगती है 
चाहे वो चाय हो या जुबां 
कड़वी चीज़ बेकार लगती है 
चाहे वो कॉफी हो या सच
दोनों के मायने बदल जाते हैं

भीड़ से अलग एक चीज़ सीखने को मिली ज़िंदगी के सफ़र में मीठी चीज़ सबको अच्छी लगती है चाहे वो चाय हो या जुबां कड़वी चीज़ बेकार लगती है चाहे वो कॉफी हो या सच दोनों के मायने बदल जाते हैं

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