पैदा हुई बनके बेटी, आज बन गई बहु थी छोड़ के अपनी खुसिया सारी, सामील हो गई दुसरु कि खुशियो मैं थी छोड़ के सब से आश ,आज वो सहम सी गई थी। अब नहीं रखी उसने किसी से उम्मीद ,अब वो एकली हि खडी थी। चली गई अँधेरी राते, आज आई रोशनी कि किरण थी। छाई अँधेरी रातो के बाद, आई एक रोशनी कि किरण सि थी। जीने लगी फिर से वो, जागि उसके मन में भी लगन सी थी। खोल लिए उसने भी पंख, ठानी आसमान को मापने की थी। चमक रहा आज भी सूरज, चेक रही चिडिया थी। सबसे होके अनजान, अब वो अपने सपने पुरे करने चलि थी। सबसे होकर अनजान, अब वो अपने सपने पूरे करने चलि थी। आ गई काली रात ,लेकिन वो तो बेखबर थी। जान के जिनको भाई, मांगी जिनसे सहायता थी। उसे क्या पता था ,कि थे वो तो हवस के पुजारी। आज धरती माँ भी, चिल्ला -चिल्ला कर रोई थी। जब उसने अपने ही आँचल में, अपनी बेटी सुरक्षित ना पाई। ए खुदा तुने क्यों ये दुनिया बनाई। जब उसने अपने ही आँचल में, अपनी बेटी सुरक्षित ना पाई। मिटा दे ना अब इस जाहान को, क्योंकि यहा एक माँ ने अपनी बेटी सुरक्षित ना पाई। आसमान में गुज रही, आज भी उसकी चीख थी। पुरा देश रोया था, क्योंकि उसने अपनी बेटी खोई थी, अपनी बेटी खोई थी। ©shyam Gurjar #बटी #standAlone