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गुनाह-ए-इश्क़ की मेरी शिनाख्त तुम ही कर देंना। मुजर

गुनाह-ए-इश्क़ की मेरी शिनाख्त तुम ही कर देंना।
मुजरिम हूँ तेरे दिल का जो चाहे सजा दे देना।
अगर फिर से उठी ये नजर हुस्न पर तेरे,
दबी हुई तमन्नाओं को भी सूली पर चढ़ा देना।। सब कुछ तुझे ही सौंप दिया #hindipoetry #hindilovepoetry #love #ishq #mohobbat #mksmahi #poem #shayari
गुनाह-ए-इश्क़ की मेरी शिनाख्त तुम ही कर देंना।
मुजरिम हूँ तेरे दिल का जो चाहे सजा दे देना।
अगर फिर से उठी ये नजर हुस्न पर तेरे,
दबी हुई तमन्नाओं को भी सूली पर चढ़ा देना।। सब कुछ तुझे ही सौंप दिया #hindipoetry #hindilovepoetry #love #ishq #mohobbat #mksmahi #poem #shayari
mksmahi1007

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