इकट्ठा नहीं होता अब मेरे आंगन में बारिशों का पानी, आंगन कि जगह बन गयी हैं ऊंची इमारतें, जहाँ असंख्य जालीदार खिड़कियां, सिर्फ़ बारिश का अहसास कराती हैं, वो कागज़ कि नावें खो गयी हैं, मेरे बचपन में, वो आज भी ढूँढ रही है उस आंगन को, जहाँ इकट्ठा होता है, बारिश का पानी !!— % & इकट्ठा नहीं होता अब मेरे आंगन में बारिशों का पानी, आंगन कि जगह बन गयी हैं ऊंची इमारतें, जहाँ असंख्य जालीदार खिड़कियां, सिर्फ़ बारिश का अहसास कराती हैं, वो कागज़ कि नावें खो गयी हैं,