काँच सा दिल दुनिया संगदिल है /तमाशा है /हर तरफ और बेपरवाह मेरा काँच का दिल है... टूट जाएगा यह ज़रा सी चोट से फिर ना संभल पाएगा किसी भी तरहा से... काँच