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#नदियाँ नदियां केवल बाढ़ ही नहीँ लाती लाती हैं ब

#नदियाँ 

नदियां केवल बाढ़ ही नहीँ लाती 
लाती हैं बेशुमार खुशियां 
सभ्यताओं को जीवन देकर 
देती हैं आश्रय  असंख्य जीवों को 
जठराग्नि  शांत करने क़ी ही खुशियां नहीँ 
बल्कि तृप्त करती हैं,  प्यास  इन बस्तियों क़ी
यूं कहिये क़ी सहस्र विविधताओं 
क़ी लेती है  जिम्मा, देने हर सांस क़ी हर स्पन्दन 
प्रकृति के जिस्म को रगड़ रगड़ कर 
करती है सृजन, गाद औऱ अवसाद का 
बहाकर ले जाती मैदानों को देने 
उपहार उर्वरता औऱ जीवनता का 
ये नदियों क़ी प्राकृतिक आदत है 
कि करती है अपरदन धरती के अन्तःकोषों तक,  
जब तक रूबरू होंगी अकाट्य चट्टानें, 
दक्षिणी नदियां हैं,  अपनी अन्त अपरदन क़ी ओर 
ये हिमालय क़ी उफनती नदियां अभी हैं  यौवनता मेँ 
अभी तो रहेंगी सहस्र वर्षों तक खंडिनी, विनाशक 
विकराल, वज्रपाती, लेकिन सदैव जीवनदात्री
सदियां गवाह हैं, इनके ऋण क़ी, 
पहाडों को लील कर बनाती एक स्वप्न चादर 
मैदानों मेँ, उर्वरता औऱ निर्भरता क़ी 
गर गुरूर है  गंधर्व ! अपनी स्वामीपन का तो 
तू कर विलग क्षण एक इस माते से 
जानेगा तू कि,  तेरी नैसर्गिक फितरत 
कुछ भी नहीँ बिना इसके 

जीवन आया वहीं, 
जल था जहां कहीं॥ 
नदियां लाती है खुशियां अनेक 
यदि नियत हों, पवित्र व नेक

©Sadhu lal paliyal rivers
#नदियाँ 

नदियां केवल बाढ़ ही नहीँ लाती 
लाती हैं बेशुमार खुशियां 
सभ्यताओं को जीवन देकर 
देती हैं आश्रय  असंख्य जीवों को 
जठराग्नि  शांत करने क़ी ही खुशियां नहीँ 
बल्कि तृप्त करती हैं,  प्यास  इन बस्तियों क़ी
यूं कहिये क़ी सहस्र विविधताओं 
क़ी लेती है  जिम्मा, देने हर सांस क़ी हर स्पन्दन 
प्रकृति के जिस्म को रगड़ रगड़ कर 
करती है सृजन, गाद औऱ अवसाद का 
बहाकर ले जाती मैदानों को देने 
उपहार उर्वरता औऱ जीवनता का 
ये नदियों क़ी प्राकृतिक आदत है 
कि करती है अपरदन धरती के अन्तःकोषों तक,  
जब तक रूबरू होंगी अकाट्य चट्टानें, 
दक्षिणी नदियां हैं,  अपनी अन्त अपरदन क़ी ओर 
ये हिमालय क़ी उफनती नदियां अभी हैं  यौवनता मेँ 
अभी तो रहेंगी सहस्र वर्षों तक खंडिनी, विनाशक 
विकराल, वज्रपाती, लेकिन सदैव जीवनदात्री
सदियां गवाह हैं, इनके ऋण क़ी, 
पहाडों को लील कर बनाती एक स्वप्न चादर 
मैदानों मेँ, उर्वरता औऱ निर्भरता क़ी 
गर गुरूर है  गंधर्व ! अपनी स्वामीपन का तो 
तू कर विलग क्षण एक इस माते से 
जानेगा तू कि,  तेरी नैसर्गिक फितरत 
कुछ भी नहीँ बिना इसके 

जीवन आया वहीं, 
जल था जहां कहीं॥ 
नदियां लाती है खुशियां अनेक 
यदि नियत हों, पवित्र व नेक

©Sadhu lal paliyal rivers