कल मुझे राह में चाँद मेरा मिला दूधिया दूधिया ये बदन हो गया थोड़ा मैने कहा थोड़ा उसने सुना हल्का हल्का सा दोनों का मन हो गया ..... फिर अचानक ही ठण्डी हवायें चली जो कि पानी बरसने का संकेत था कितनी बारिस हुयी कुछ पता ना चला इतना मन का ये झुलसा हुआ रेत था कोंन बारसा था और कोंन भीगा वहुत प्यासे अधरों का बस आचमन हो गया.... मुद्दतों से जो कलियां खिली ही नहीं पंखुडी खोलकर मुस्कुराने लगी देखकर बबूलों के घर रोनकें नागफनियाँ भी महदी रचाने लगी साख भी झुक गयी सांस भी रूक गयी इतना मादहोस मेरा चमन हो गया बात ही बात में साँझ होने लगी रातरानी कि कुछ टहनिय़ां हिल गयीं हाथ जैसे ही मैने बढाया तभी इस सहर की सभी बत्तियां जल गईं ढ़ेर से स्वप्न में नींद आती नहीं मेरी पलकों पे कितना वजन हो गया..... चाँद की मोहब्बत में हर शख़्स ने अपने सितारे खोए। #चाँदमोहब्बत #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi जी मेरी डायरी में संकलित मेरे सबसे प्रिय डॉ. विष्णु सक्सेना जी की अनमोल रचना 2012।