भटकती आशाओ को कोई सहारा तो मिले, बीच समुंदर में हूँ अब कोई किनारा तो मिले। जब सब गवा दिया तो अब होश में आया हूँ, दो टुकड़ो में सही पर अब जिंदगी तो मिले। बहुत हैं यूँ तो सगे सम्बंधी रिस्ता निभाने को, मगर अब कोई अपना तो मिले। हर रोज खुद से सामना हो ही जाता है मेरा पर खुद से मिलने की कभी फुर्सत तो मिले। वाइजा तो हर मोड़ पर मिल जाते हैं मुझे, मगर कोई मर्ज को समझने वाला तो मिले। ( रोहित बैराग ) कोई अपना तो मिले #sunrays