हम फिर मिलेंगे मुझे है यकीं _______________________ हम बिछड़ गए तो क्या हुआ ? हम न मिल सकें दोबारा ऐसा नहीं एक जिस्म ही तो खत्म हुआ है, रूह नहीं रिश्ता फिर नया बना लेंगे हम कभी हम फिर मिलेंगे मुझे है यकीं। तुम फिर उतर आओगे सांसों के किसी नए पिंजरे में मैं भी जन्म लेती रहूँगी अभी कई जिस्म नए हों लेकिन रूह पुरानी होगी हम फिर मिलेंगे मुझे है यकीं । पहले भी कई बार हम यूँ ही बिछड़े हैं इस बार अनोखा तो ऐसा कुछ भी नहीं फिर भी दर्द खंजर से उतरने का है दिल में शायद पहले भी चुभा हो तीर ऐसे ही कभी हम फिर मिलेंगे मुझे है यकीं । चेहरा पहचान न पाओ अगर तो भी आँखों से समझ लेना मैं फिर आई हूँ तब रूह गवाही देगी अपनेपन की शायद पुराना भी याद आ जाए सभी हम फिर मिलेंगे मुझे है यकीं । हम बिछड़ गए तो क्या हुआ ? हम फिर मिलेंगे मुझे है यकीं । Copyright 2019, Meenakshi Sethi Wings Of Poetry #Not all poems of separation are about love of couples some beautiful relations of brother and sister also are very deep #wingsofpoetry #brother #willmeetoneday #missingyou