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समंदर-सी चाह लिये चलता हूँ होठों पे इक आह लिये च

समंदर-सी  चाह  लिये चलता हूँ
होठों पे इक आह लिये चलता हूँ !

रंजिशों से  भरी  इस  दुनियाँ  में
सबकी  परवाह  लिये  चलता हूँ !

भावनाओं  की  दरिया है  गहरी
हर क़दम  थाह लिये  चलता  हूँ !

चोट लगी है  दिल पर  कई बार
दर्द  खामखाह  लिये  चलता हूँ !

मंज़िल मुझे मिले न मिले मलय
मुहब्बत की राह लिये चलता हूँ !

©malay_28 #चलता हूँ

#MerryChristmas
समंदर-सी  चाह  लिये चलता हूँ
होठों पे इक आह लिये चलता हूँ !

रंजिशों से  भरी  इस  दुनियाँ  में
सबकी  परवाह  लिये  चलता हूँ !

भावनाओं  की  दरिया है  गहरी
हर क़दम  थाह लिये  चलता  हूँ !

चोट लगी है  दिल पर  कई बार
दर्द  खामखाह  लिये  चलता हूँ !

मंज़िल मुझे मिले न मिले मलय
मुहब्बत की राह लिये चलता हूँ !

©malay_28 #चलता हूँ

#MerryChristmas
malay285956

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