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पता नहीं क्या ही जादू था उसकी आँखों में,

पता नहीं क्या ही जादू था उसकी आँखों में,
                              अब तो मान जा,
काश दिल टूटने का ही दर्द होता ये नकारा,
बस तुझे खोने का डर है, अब तो जान जा।
ये जो जमीं पर लकीरों से जो रस्तें है बने,
ये नदी होते तो कहता, अब तो साथ ले जा,
अगर ये लकीरें होती जड़ों और शाखाओं जैसी,
तो मैं कहीं नहीं जाता, तब तो साथ रहता।
सब जान कर जो जानने की जिज्ञासा जगी है,
खुली किताब के बिखरे पन्नों को अब तो बांध लेता,
मेरी कही बात का बतंगड़ बना रहे हो,
बिना बोले पंख अब कैसे झाड़ लेता।
बाज चुप रहता तो मन शांत रहता,
सबसे पहले अपने मन की भांप लेता।

 #आँसूकाकहनाथा जो बयां किया,
रहने दो साथी जो तुमने दगा किया,
रह रह कर सिसकियों में हिचकियां आती हैं,
तुम हो या हमें किसी और ने याद किया।
नींद आ जाती तो सो ही जाते ना,
यूं आधी रात को खत लिखते क्या,
ऐसी मुर्खों सी बाते न किया करो,
मुंह पर कहनी आती तो कलम घिसते क्या।
पता नहीं क्या ही जादू था उसकी आँखों में,
                              अब तो मान जा,
काश दिल टूटने का ही दर्द होता ये नकारा,
बस तुझे खोने का डर है, अब तो जान जा।
ये जो जमीं पर लकीरों से जो रस्तें है बने,
ये नदी होते तो कहता, अब तो साथ ले जा,
अगर ये लकीरें होती जड़ों और शाखाओं जैसी,
तो मैं कहीं नहीं जाता, तब तो साथ रहता।
सब जान कर जो जानने की जिज्ञासा जगी है,
खुली किताब के बिखरे पन्नों को अब तो बांध लेता,
मेरी कही बात का बतंगड़ बना रहे हो,
बिना बोले पंख अब कैसे झाड़ लेता।
बाज चुप रहता तो मन शांत रहता,
सबसे पहले अपने मन की भांप लेता।

 #आँसूकाकहनाथा जो बयां किया,
रहने दो साथी जो तुमने दगा किया,
रह रह कर सिसकियों में हिचकियां आती हैं,
तुम हो या हमें किसी और ने याद किया।
नींद आ जाती तो सो ही जाते ना,
यूं आधी रात को खत लिखते क्या,
ऐसी मुर्खों सी बाते न किया करो,
मुंह पर कहनी आती तो कलम घिसते क्या।
baaj7076004173127

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