मायड़ भासा बोलतां जिण नै आवै लाज। लाजै अस्या कपूत सूँ सारो सुजन समाज।। मायड़ भासा बोलतां गरभ करै मन माहिं। उण सूं बड़ो समाज में साँचो बेटो नाहिं।। मायड़ भासा बिन बंद पड़ी बंद उन्नति की गेल। क्यूं कर सरकै पेंड दो बिन इंजन कै रेल।। सारो फीको हो गयो निज उन्नति को चाव। कइयां तेरेै धार में बिन डांडी की नाव।। अचरज म्हें इण सूं बड़ो जग में देख्यो नाय। घर में मान न पा सकी दस करोड़ की माय।। परदेसण नै आ कर्यो म्हारा घर में राज। मायड़ घर बारै करी पूताँ खो दी लाज।। सुंदर,सुघड़,सुहावणी,सुमधुर बाणी जोय। राजस्थानी रे सिवा दूजी कुण सी होय।। रेवत,नाथू, सूर्यमल,बाँकी राखी साख। 'मुकुट' करै सत्-सत् नमण उण भासा हिय राख।। पोथी- 'बोलो,कठी जावाँ' "मुकुट मणिराज" ©Dilip Singh Harpreet #दिलीप_सिंह_हरप्रीत #मायड़भासा #राजस्थानी #SaveRajasthani #nojotorajasthani #Nojoto