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#OpenPoetry वा मेरी मायादार होली कखि दूर डांडियों

#OpenPoetry वा मेरी मायादार होली कखि दूर डांडियों मा सोचणु छो जेकाँ बारामा बैठी यखुली 
ख़यालु मा रोज जु आन्दी मेरा दगडी।।
छपेगी होलु जन्म जन्मो कु जैकु नौ जिकुड़ी मा
वा मेरी मायादार होली कखि दूर डांडियों मा।।


वा घास कु जांदी होली धेरी दाथुली तौ गुंन्दख़याली हातियों मा
चूड़ी बजांदी होली चखुलियों का भोंण का गैल डालियों मा
#OpenPoetry वा मेरी मायादार होली कखि दूर डांडियों मा सोचणु छो जेकाँ बारामा बैठी यखुली 
ख़यालु मा रोज जु आन्दी मेरा दगडी।।
छपेगी होलु जन्म जन्मो कु जैकु नौ जिकुड़ी मा
वा मेरी मायादार होली कखि दूर डांडियों मा।।


वा घास कु जांदी होली धेरी दाथुली तौ गुंन्दख़याली हातियों मा
चूड़ी बजांदी होली चखुलियों का भोंण का गैल डालियों मा
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