समाज और अबला जन्म होता है ना होती कहीं बधाई फिर होती है उसकी पढ़ाई की मिल जाए योग्य वर उसे बराबरी नहीं कभी उसे मिल पाई न वो खेल खिलौने जो खेलते हैं भाई न वो आजादी कभी उसने पाई हर वक़्त ज़िन्दगी बोझ सी दिखती जब अकेले कहीं वह कदम रखती अगर कहीं वह छेड़ी गई तो तोहमत कपड़ों पर या उसने पाई नजर गंदी मानसिकता की पर्दे में उसने जगह पाई फिर दी जाती है कहीं ब्याही नहीं तो बोझ सी पड़ती दिखाई ससुराल में ज्यों कोई नौकरानी बन आयी अपनी ख्वाहिशों पर हमेशा लगाम लगाई हर खुशी की कीमत अदा करती औरत औरत को नीचे रखती हर किसी ने उसको औकात दिखाई वक़्त बदल गया रीतियां भी बदलो मर्दों तुम भी अपना घर बदलो क्यों कहना ज़माना ख़राब है पहले घर की स्थिति तो बदलो क्यों औरत ही अबला कहलाई क्यों कभी उसने समाज में बराबरी न पाई??? #nojotohindi#अबला#समाज#society#sadtruth