कहने को तो कितने मेरे अपने हैं, सच पूछो तो सारे कहने भर के हैं। बिन बोले रुक जाते हैं रुकने वाले, जाने वाले हरदम जाया करते हैं। मिट्टी, बादल, पानी, ख़ुशबू, बरसातें, ये भी तुमको देख के आँहें भरते हैं। अपने मन की मानो, कोई कुछ बोले, बनाने वाले बात बनाते रहते हैं। झूठा दम भरते हैं सब 'इकराश़' यहाँ, बनते हैं जो शेर, सभी काग़ज़ के हैं। कुछ नए पुराने शेर है, ज़िंदगी से जुड़े हुए। ~ इकराश़ #इकराश़नामा #ग़ज़ल_ए_इकराश़ #YqBaba #YqDidi