वज़ूद को पुख़्ता लिबास देने की फ़िक़्र में अंदर से कमज़ोर ओ लिजलिजे हो गए हैं अदब में झुकी सामने भीड़ को न देख तू बीमार मिरे रिश्तों के सिलसिले हो गए हैं . धीर सिलसिले