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ये कैसा मौसम है, बदलता क्यों नही और ये बेकार दिन,

ये कैसा मौसम है, बदलता क्यों नही
और ये बेकार दिन, ढलता क्यों नही

ये बाग भी तो फीके से लग रहे हैं ,
क्या अब ये भी गुलजार नही होता

और ये फूल, न खिलते न महकते हैं
किसने कहा की वक्त बेकार नहीं होता

इतनी बेरुखी, इसी वक्त से मिले मुझको
फिर भी सब्र की नकल , यार नही होता

जब से बैठा हूं , तब से ये बादल है यहां
कब गिरेगी बूंदे, इतना इंतजार नहीं होता

आज वो नहीं, तो इन सब ने रंग बदला है
आज वो होती, तो कोई बीमार नही होता

हां, इस बाग की सबसे खूबसूरत फूल है वो
अच्छा, तो इसलिए अब ये गुलजार नही होता

उसे बताऊं भी कैसे अब ये बात मैं की
मैने झूठ बोला था की मुझे प्यार नही होता

©Shivam Veer
  ये कैसा मौसम है, बदलता क्यों नही
और ये बेकार दिन, ढलता क्यों नही

ये बाग भी तो फीके से लग रहे हैं ,
क्या अब ये भी गुलजार नही होता

और ये फूल, न खिलते न महकते हैं
किसने कहा की वक्त बेकार नहीं होता
shivamveer3125

Shivam Veer

New Creator

ये कैसा मौसम है, बदलता क्यों नही और ये बेकार दिन, ढलता क्यों नही ये बाग भी तो फीके से लग रहे हैं , क्या अब ये भी गुलजार नही होता और ये फूल, न खिलते न महकते हैं किसने कहा की वक्त बेकार नहीं होता #SAD #Shayari

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