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पांव अपने भी जो पड़ा हूं मैं । ना जाने किस बात पर

पांव अपने भी जो पड़ा हूं मैं ।
ना जाने किस बात पर अड़ा हूं मैं ।

आखिरी सीन है कहानी का ।
रेल के सामने खड़ा हूं मैं ।

देख कितना बड़ा मुनाफिक हूं ।
देखकर तुझको हंस पड़ा हूं मैं ।

by# jahanjeb sahir # jahanjeb sahir poetry#
पांव अपने भी जो पड़ा हूं मैं ।
ना जाने किस बात पर अड़ा हूं मैं ।

आखिरी सीन है कहानी का ।
रेल के सामने खड़ा हूं मैं ।

देख कितना बड़ा मुनाफिक हूं ।
देखकर तुझको हंस पड़ा हूं मैं ।

by# jahanjeb sahir # jahanjeb sahir poetry#
azeemkhan5403

Azeem Khan

Gold Star
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