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दूरी इतनी की सदियों बीत जाए भरते -भरते , ढूंढी जब

दूरी इतनी की सदियों बीत जाए भरते -भरते ,
ढूंढी जब हमने तो वज़ह कुछ भी नहीं |
मशहूर किया उसने हमें बेवफ़ा के नाम से,
पूछा जब हमने तो बोले गिला कुछ भी नहीं|
रोशनी के चिराग लिए अंधेरे भटकते रहे,
साया भर नजर आया हमें , पर मिला कुछ भी नहीं |
खेल था कोई गर रिश्ता हमारा , खिलाड़ी बताया हमें, सौहरते उसे मिलीं, जिल्लत के सिवा हमको तो मिला ,कुछ भी नहीं |
आंसू जो बहाए दो उसने , रुमाल सबने बढ़ा दिए,
दरिया जो हमने बहाया, उसका हिसाब कुछ भी नहीं |
ज़ख्म इतने की दिखाऊं तो चिंख दो तुम भी ,
खंजर लिऐ वो हाथ अपनो के थे  ,सो सह गया पर  कहा कुछ भी नहीं |
नाकाम ना समझ तू हस्ती को मेरी , दर्द काग़ज़ को हमने दिए बहुत हैं , स्याही और कलम के सिवा, ज़िन्दगी में, हमने तो किया कुछ भी नहीं |
शौक से जाओ ए - दोस्त , कहीं अज़ाब ना बन जाए ,
रिश्ते में गर भरोसा ना बचे , तो बचा कुछ भी नहीं ||

IG|FB|Anonymouswrites #kuchbhinhi #nojotourdu #Shayari #nazm #nojotohindishayari
दूरी इतनी की सदियों बीत जाए भरते -भरते ,
ढूंढी जब हमने तो वज़ह कुछ भी नहीं |
मशहूर किया उसने हमें बेवफ़ा के नाम से,
पूछा जब हमने तो बोले गिला कुछ भी नहीं|
रोशनी के चिराग लिए अंधेरे भटकते रहे,
साया भर नजर आया हमें , पर मिला कुछ भी नहीं |
खेल था कोई गर रिश्ता हमारा , खिलाड़ी बताया हमें, सौहरते उसे मिलीं, जिल्लत के सिवा हमको तो मिला ,कुछ भी नहीं |
आंसू जो बहाए दो उसने , रुमाल सबने बढ़ा दिए,
दरिया जो हमने बहाया, उसका हिसाब कुछ भी नहीं |
ज़ख्म इतने की दिखाऊं तो चिंख दो तुम भी ,
खंजर लिऐ वो हाथ अपनो के थे  ,सो सह गया पर  कहा कुछ भी नहीं |
नाकाम ना समझ तू हस्ती को मेरी , दर्द काग़ज़ को हमने दिए बहुत हैं , स्याही और कलम के सिवा, ज़िन्दगी में, हमने तो किया कुछ भी नहीं |
शौक से जाओ ए - दोस्त , कहीं अज़ाब ना बन जाए ,
रिश्ते में गर भरोसा ना बचे , तो बचा कुछ भी नहीं ||

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