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रिश्तो और खेल में बैरो और मेल में जज्बातों के जेल

रिश्तो और खेल में बैरो और मेल में 
जज्बातों के जेल में 
 कैद क्यों है तेरे ख्याल ?
 जब रिश्ते निर्बाध हो 
  ख्याल तब तेरे खास हो

©karanweer raj kass
रिश्तो और खेल में बैरो और मेल में 
जज्बातों के जेल में 
 कैद क्यों है तेरे ख्याल ?
 जब रिश्ते निर्बाध हो 
  ख्याल तब तेरे खास हो

©karanweer raj kass