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लफ़्ज़ों का भी कहना क्या! कुछ बिन बोले निकल जाते, कु

लफ़्ज़ों का भी कहना क्या!
कुछ बिन बोले निकल जाते,
कुछ बोले तो ठहर जाते।
तन्हा जब बैठते, अल्फ़ाज़ों की धार सी छूटती,
बज़्म में जैसे , रेगिस्तान सी लगती।।

बज़्म- सभा, दावत #जिंदगी_एक_फ़लसफा
लफ़्ज़ों का भी कहना क्या!
कुछ बिन बोले निकल जाते,
कुछ बोले तो ठहर जाते।
तन्हा जब बैठते, अल्फ़ाज़ों की धार सी छूटती,
बज़्म में जैसे , रेगिस्तान सी लगती।।

बज़्म- सभा, दावत #जिंदगी_एक_फ़लसफा