मुझको मैं जो देखता हूं, बड़ी हैरत होती है... लबों पर हसी खिलती, साँस भीतर से रोती है... सोचता हूं तन्हा बैठकर, कि यह क्यों हुआ.. हमारा इस दुनिया में आना, किसने तय किया... दुनिया अगर दे दी, तो कुछ सहारा भी देता ना.. रहबर कहते है लोग उसे, थोडा रहम तो करता ना.. विशाल, जो बचा है सफर, गम की सोहबत में कांट ले.. लफ्जों के फूल पिरोकर, दीवानों में बांट ले... 05-02-2022 Vishaal/Aadinaath . ©Vishal Chavan #हैरत #City