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सुबह की धुंध से लेकर शाम की भीनी भीनी सी हवा तक

सुबह की धुंध से लेकर
 शाम की भीनी भीनी सी हवा तक
 कोहरे से ढके सरसों के 
उन खेतों से लेकर
 चूल्हे पर पकी मक्के की रोटी तक
 मधुमक्खियों के छत्ते के
 मन ललचाने वाले शहद से लेकर
 पक्षियों की मधुर चहचहाहट तक
 सभी का एहसास होने लगा है
 हो भी तो क्यों ना
 मेरे गांव में आगमन की वैला का
 समय जो होने लगा है
 ©kirtesh #village
#nojoto
#poem
सुबह की धुंध से लेकर
 शाम की भीनी भीनी सी हवा तक
 कोहरे से ढके सरसों के 
उन खेतों से लेकर
 चूल्हे पर पकी मक्के की रोटी तक
 मधुमक्खियों के छत्ते के
 मन ललचाने वाले शहद से लेकर
 पक्षियों की मधुर चहचहाहट तक
 सभी का एहसास होने लगा है
 हो भी तो क्यों ना
 मेरे गांव में आगमन की वैला का
 समय जो होने लगा है
 ©kirtesh #village
#nojoto
#poem