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ऐसे सवाल हीं क्यों पूछते हो,जो ग़म को कुरेदते हैं।

ऐसे सवाल हीं क्यों पूछते हो,जो ग़म को कुरेदते हैं।
आप तो मजा ले लेते हो,हम चुपके से रोते हैं।
नहीं बतानी किसी को मुझको ,क्या क्या हमने झेला है।
तुम होते जो मेरी जगह तो कहते ,किस्मत ने ये कैसा खेल खेला है।

जप्त है जो सीने में, उस ताले को न खुलवाओ।
जो संजो रखें हैं मोती हमने,सरे राह न लुटवाओ।
नहीं होती सब की सब इक्षापूर्ती, इस बात को सत्य मान जाओ।
कभी अच्छे थे हालात हमारे, तुम भी अभी न इठलाओ। Arsh (Meer) Musher Ali  Arzooo 😍😍 #suman# Halima Usmani
ऐसे सवाल हीं क्यों पूछते हो,जो ग़म को कुरेदते हैं।
आप तो मजा ले लेते हो,हम चुपके से रोते हैं।
नहीं बतानी किसी को मुझको ,क्या क्या हमने झेला है।
तुम होते जो मेरी जगह तो कहते ,किस्मत ने ये कैसा खेल खेला है।

जप्त है जो सीने में, उस ताले को न खुलवाओ।
जो संजो रखें हैं मोती हमने,सरे राह न लुटवाओ।
नहीं होती सब की सब इक्षापूर्ती, इस बात को सत्य मान जाओ।
कभी अच्छे थे हालात हमारे, तुम भी अभी न इठलाओ। Arsh (Meer) Musher Ali  Arzooo 😍😍 #suman# Halima Usmani