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कविता के सभी पात्र व घटनाएं काल्पनिक हैं ,इस रचना

कविता के सभी पात्र व घटनाएं काल्पनिक हैं ,इस रचना का निर्माण मनोरंजन की दृष्टि से किया गया है। यदि आप सभी में से किसी के जीवन की घटना का सयोंग अगर इस कविता से होता है तो इसे रचनाकार का सौभाग्य कहा जायेगा।

किसी दिवार से टेके हुए अपनी जुल्फों को,
दफ़न करती हुयी चहरे पर वो ,दुःख की परतों को ,
ली है गहरी सी साँस जिसने देख कर मुझको ,
मानो दिया हो चिराग जलकर किसी ने उसको ,
विरह के दिन जो सारे अब भूल पायी है ,
हर एक साँस के पल में जिसे मेरी याद आयी है ,
उसके सपनो में लेने की कोशिश कर रहा हूँ। 
उसके आक्रोश की अग्नि से अब कुछ डर रहा हूँ। 

अपनी चौखट की दहलीज  पर जो पलकें बिछाए हुए है,
खिली  है जो बदन से,मन  मुरझाये हुए है ,
जिसको को तोडा है सब ने और  काँटों में उलझ गए है ,
प्रेम की अग्नि से वो सारे  झुलस गए हैं ,
उसकी दहलीज पर कदम मैं  अब रख रहा हूँ। 
उसके आक्रोश की अग्नि से अब कुछ डर रहा  हूँ। . 

रंग होली के जिसने अबतक देखे नही हैं,
मेरी याद  के मौसम जिससे घटते नही हैं ,
निहारते हुए जिसकी आंखें सूख गयीं हैं ,
तन्हाईयाँ जिसके खून को चूस गयीं हैं ,
जो हसकर मेरे चहरे  को फिर भी देख  रही  है ,
जैसे यौवन की बिजली फिर बदन में दौड़ रही है,
भूलकर दुनिआ को ,उससे मोहब्बत कर रहा हूँ। 
उसके आक्रोश की अग्नि से कुछ डर रहा हूँ। 

प्रेम

©Prem kumar gautam #Love
#ishqforever
#IshqUnlimited  Jagrati Nagle Adarsh kumar GOLDBIRD LYRICS Pandit Bhanu Pratap Pathak QUEEN SANIYA 11
कविता के सभी पात्र व घटनाएं काल्पनिक हैं ,इस रचना का निर्माण मनोरंजन की दृष्टि से किया गया है। यदि आप सभी में से किसी के जीवन की घटना का सयोंग अगर इस कविता से होता है तो इसे रचनाकार का सौभाग्य कहा जायेगा।

किसी दिवार से टेके हुए अपनी जुल्फों को,
दफ़न करती हुयी चहरे पर वो ,दुःख की परतों को ,
ली है गहरी सी साँस जिसने देख कर मुझको ,
मानो दिया हो चिराग जलकर किसी ने उसको ,
विरह के दिन जो सारे अब भूल पायी है ,
हर एक साँस के पल में जिसे मेरी याद आयी है ,
उसके सपनो में लेने की कोशिश कर रहा हूँ। 
उसके आक्रोश की अग्नि से अब कुछ डर रहा हूँ। 

अपनी चौखट की दहलीज  पर जो पलकें बिछाए हुए है,
खिली  है जो बदन से,मन  मुरझाये हुए है ,
जिसको को तोडा है सब ने और  काँटों में उलझ गए है ,
प्रेम की अग्नि से वो सारे  झुलस गए हैं ,
उसकी दहलीज पर कदम मैं  अब रख रहा हूँ। 
उसके आक्रोश की अग्नि से अब कुछ डर रहा  हूँ। . 

रंग होली के जिसने अबतक देखे नही हैं,
मेरी याद  के मौसम जिससे घटते नही हैं ,
निहारते हुए जिसकी आंखें सूख गयीं हैं ,
तन्हाईयाँ जिसके खून को चूस गयीं हैं ,
जो हसकर मेरे चहरे  को फिर भी देख  रही  है ,
जैसे यौवन की बिजली फिर बदन में दौड़ रही है,
भूलकर दुनिआ को ,उससे मोहब्बत कर रहा हूँ। 
उसके आक्रोश की अग्नि से कुछ डर रहा हूँ। 

प्रेम

©Prem kumar gautam #Love
#ishqforever
#IshqUnlimited  Jagrati Nagle Adarsh kumar GOLDBIRD LYRICS Pandit Bhanu Pratap Pathak QUEEN SANIYA 11