❣️बारिश❣️ बन संवर कर ये बारिश गगन से चली, हाय शरमा के, मिलने धरा से चली, इक अनूठा सा बंधन है इन दोनो में, बचपने में थी बारिश धरा पर पली। गोद में धरती के ऐसे खेली थी वो, या कहूं उसकी प्यारी सहेली थी वो, इसलिए ही तो हंसकर के मिलने चली, बन संवर कर ये बारिश गगन से चली राह में लाखों बाधाएं उसको मिली, कहीं पत्थर कहीं बिजलियां भी मिलीं, पार कर सारी बाधाओं को वो चली, बन संवर कर ये बारिश गगन से चली। ©Miss. Rajput #barish #Love #shayri #Poetry #OneSeason