आपके हर तालिम पर, एक अनूठा कर्जदार हूँ मैं, मिला है अब तक बहुत कुछ सीखनें कों आपसे, आगे भी बहुत कुछ सीखनें का एक हकदार हूँ मैं, कर्ज जो भी है, भुगतान कैसे होगा इतना, अदा करूंगा कैसे, जो है एक शालीन के जितना, मासूमियत के सिवा कुछ, और भी नही है हमारे पास, सोचता हूँ और जो भी पाऊँ आपसें, उसे रख लूँ और कितना, वो तो वक्त ने, उस वक्त दुस्साहस किया था, आप से उस वक्त भी, हमनें कुछ सीखनें का साहस किया था, कि जटिल जिन्दगी को, और भी आसां बनाया जा सकता हैं, आए चुनौतियाँ जो भी समाने लड जाओ उससे, और खुद का एक अलग नाम बनाया जा सकता है, खुद के मन में संजोए हुए हैं अरमान, और हर फरमान को हमनें स्वीकारा है, आप को देख ऊर्जा मिलती हमको, और ऊर्जा को बचानें का कर्तव्य हमारा है, आप सर्वदा, प्रकाशमान गुरू प्रभ हैं, और हम आपके उजाले से चमकनें वाले, शिष्य चँद्र की शीतल छाया, आशीष बनाए रखिएगा सर जी, अपने गुरू ज्ञान मेल से, जो गुजरती हो बुद्धि से बुद्धि तक, और ज्ञानपुर वाया.... !! -Sp"रूपचन्द्र" my teachar birthday