सजा चाहे जो भी दो इश्क में सब कुबूल है,, दुश्मनों से दिल लगाना आशिक तेरा भूल है,, कुछ खुद को संभालो कुछ दिल को संभालो,, इस दौर में दिल्लगी करना भी एक भूल है,,, बदलते हैं मौसम तो बदलने दो यारों खुद को बदलना एक बड़ी भूल है,, कौन किसे चाहता है बिना किसी फायदे के लिए,, एक माँ ही है जो खुद सो जाती है गिले बिस्तर पे बिना किसी फायदे के लिए, वो मुझसे सिर्फ मुहब्बत करती है किसी और से नहीं,, अंसारी ये तो सच है कि माँ ही सिर्फ मुझसे मुहब्बत करती है दुनिया कि मुहब्बत तो फिजूल है,,, इश्क करना आशिक तेरा भूल है,