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पिता! तेरी कोशिश रही कि मेहनत से ही सही तैयार हो

पिता! 
तेरी कोशिश रही कि
मेहनत से  ही सही तैयार हो
माक़ूल मुस्तक़बिल का ढाँचा
और जहाँ तक मैं समझ पाया हूँ वो है
तेरे ही किरदार की धूप-छाँव में
पालते-बढ़ते हैं
उम्मीदों के पौधे 
जिसे सींचा जाता है
ग़ैरत के पानी से
और जिसमें लगते हैं
ख़ुद्दारी के बेल-बूटे # पिता!तेरे किरदार की धूप-छाँव में
          बढ़ते हैं उम्मीदों के पौधे
पिता! 
तेरी कोशिश रही कि
मेहनत से  ही सही तैयार हो
माक़ूल मुस्तक़बिल का ढाँचा
और जहाँ तक मैं समझ पाया हूँ वो है
तेरे ही किरदार की धूप-छाँव में
पालते-बढ़ते हैं
उम्मीदों के पौधे 
जिसे सींचा जाता है
ग़ैरत के पानी से
और जिसमें लगते हैं
ख़ुद्दारी के बेल-बूटे # पिता!तेरे किरदार की धूप-छाँव में
          बढ़ते हैं उम्मीदों के पौधे
ajaybishwas1338

Ajay Bishwas

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