चिर निंद्रा में सोई अम्मा खामोश चिता पर लेटी है पुत्रों के इक आँसू से जिसका मन छलनी हो जाता था आज डुबोकर अश्रु सागर में खामोश चिता पर लेटी है हृदय विदारक चीखें क्रंदन फिर मरघट सा सन्नाटा है घर की कोई फ़िक्र नहीं है खामोश चिता पर लेटी है क्या पूछूँ किससे पूछूँ अब कैसे क्या क्या करना है अब कोई टोका-टोकी नहीं है खामोश चिता पर लेटी है दुनिया भर का ग़म गुस्सा हो माँ पे जाहिर कर देता था आज हृदय को छलनी करके खामोश चिता पर लेटी है किसीको कोई होश नहीं है सब बेसुध होकर बैठे हैं सुबह से सब भूखे-प्यासे हैं वो खामोश चिता पर लेटी है ...... 09/04/2010 अम्मा कि अंतिम यात्रा 08/04/2010 #अंतिम_यात्रा #अम्मा