शब्दों का अम्बार तो था किन्तु कह न सका, हवा से प्यार तो था किन्तु बह न सका । हमारे अपने ही हैं वो भी जो प्यार करते हैं, फिर भी उनके दर्द को मैं सह न सका ।। Jogi Varun Savita