" इस बार मैंने लोगो को नहीं, खुद को चुना है खुद के लिए " अकेले रहते रहते, लोगो की उन हकीकत जानते समझते, सबसे दूर होते होते, आदत सी पड़ गई अब अकेला रहने की.. तो अब लोगो का साथ अब घुटन सा लगने लगा है..! मैं सही हूं या गलत मुझे नहीं पता पर अब यहीं मेरी जिंदगी है.. मुझे मेरा अकेलापन ही अब बेहतर लगता है लोगो के साथ से ! --डॉ.सुधीर मल्होत्रा ©बेजुबान शायर shivkumar " इस बार मैंने लोगो को नहीं, खुद को चुना है खुद के लिए " अकेले रहते रहते, लोगो की उन हकीकत जानते समझते, सबसे दूर होते होते, आदत सी पड़ गई अब अकेला रहने की..