कभी-कभी मेरे दिल में ख़याल आता है कि ज़िंदगी तेरी ज़ुल्फ़ों की नर्म छाँव मे गुज़र ना पाती तो शादाब हो भी सकती थी ये रंज-ओ-ग़म की स्याही जो दिल पे छाई है तेरी नज़र की शुआ′ओं में खो भी सकती थी मगर ये हो ना सका मगर ये हो ना सका, और अब ये आलम है कि तू नहीं, तेरा ग़म, तेरी जुस्तजू भी नहीं गुज़र रही है कुछ इस तरह ज़िंदगी जैसे इसे किसी के सहारे की आरज़ू भी नहीं ना कोई राह, ना मंज़िल, ना रोशनी का सुराग भटक रही है अँधेरों में ज़िंदगी मेरी इन्हीं अँधेरों में रह जाऊँगा कभी खोकर मैं जानता हूँ, मेरी हमनफ़ज मगर यूँ ही कभी-कभी मेरे दिल में ख़याल आता है कभी-कभी मेरे दिल में ख़याल आता है कभी-कभी मेरे दिल में ख़याल आता है #R💌💗 ©vishwajeet vishal #कभी_कभी_मेरे_दिल_मे_खयाल_आता_है #Love