Nojoto: Largest Storytelling Platform

उसके अंतर्मन में 'वो', कितना *बेज़ार हुआ होगा जब प

उसके अंतर्मन में 'वो', कितना *बेज़ार  हुआ होगा
जब परिवार चलाने वाला, खुद बीमार हुआ होगा
(बेज़ार- अप्रसन्न, खिन्न)

*मुस्तकबिल की सोच के वो, कितना लाचार हुआ होगा
उसके आगे जब उसका पौरुष बेकार हुआ होगा
*(मुस्तकबिल- भविष्य)

पाई-पाई जोड़ के वो, जिसकी हर ईंट सजाया था
सबसे ज्यादा भारी उसपे, वो घर-बार हुआ होगा

अनहोनी का ख़तरा जब महसूस हुआ होगा मन में
आँखों के आगे 'उम्मीदों' का संघार हुआ होगा

आँख मूँदकर सोया था पर नींद कहाँ आई होगी
तकिया छुरी लगी होगी, बिस्तर तलवार हुआ होगा

--प्रशान्त मिश्रा बीमार हुआ घर का मुखिया
उसके अंतर्मन में 'वो', कितना *बेज़ार  हुआ होगा
जब परिवार चलाने वाला, खुद बीमार हुआ होगा
(बेज़ार- अप्रसन्न, खिन्न)

*मुस्तकबिल की सोच के वो, कितना लाचार हुआ होगा
उसके आगे जब उसका पौरुष बेकार हुआ होगा
*(मुस्तकबिल- भविष्य)

पाई-पाई जोड़ के वो, जिसकी हर ईंट सजाया था
सबसे ज्यादा भारी उसपे, वो घर-बार हुआ होगा

अनहोनी का ख़तरा जब महसूस हुआ होगा मन में
आँखों के आगे 'उम्मीदों' का संघार हुआ होगा

आँख मूँदकर सोया था पर नींद कहाँ आई होगी
तकिया छुरी लगी होगी, बिस्तर तलवार हुआ होगा

--प्रशान्त मिश्रा बीमार हुआ घर का मुखिया

बीमार हुआ घर का मुखिया