Kya hum sab zayaz hai क्या हम सब जायज़ है....बाकी है...आगे पढ़े जज़्बात ए हर्षिता क्या हम सब जायज़ हैं या खयालों में इक्तियार से नज़ायज हैं आज काटो को चुभोते कर्मों से स्थापित है कटाक्ष पर्दा फाश करते लफ़्ज़ों का लुफ्त उठाने वाले है किसी के दर्द पर तालियां और वीडियो वायरल करने वाले है सही क्यू कहा गलत को सही बताने वाले सही कहूं तो अच्छा बहुत लगता हैं आवाज़ उठाने वालों को हर हाल में हलक से गटकना पड़ता है हमने क्या बिगाड़ा है तुम्हारा ये बात का जवाब देने के दम बहुत निकलता है