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हे दोस्त दोस्ती का यही शीला देना था तो कह देता एकब

हे दोस्त दोस्ती का यही शीला देना था तो कह देता एकबार ,
अपनी बदनामी का ढनढेरा खुद ही पीट देता बार बार,
हे दोस्त दिल के टुकड़े ही करने थे तो कहदेता एकबार,
अपना दिल चीरकर भेज देता बार बार 
हे दोस्त कत्ल ही करना था तो कहदेता एकबार,
अपने सीने में खंजर खाने आता में बार बार,
नही जानता क्या मजबूरी थी तेरी यार 
अब भरोसा नहीं रहा एकबार ।।
Nawab writer

©NAWAB WRITER
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rush Shayar शायरी शायर dost♥️ Gaddar

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