कितना चाहूं हंसाना फिर भी रूठा रहता हैं ना जाने किस दर्द में जीता हैं खुद को तो ऐसे दिखाता है मेरे सामने जैसे कोई दर्द ही ना हो पर अकेले में बैठ के अंदर ही अंदर रोता हैं ©Jha Pallavi Jha #Hasana