Nojoto: Largest Storytelling Platform

कितना चाहूं हंसाना फिर भी रूठा रहता हैं ना जाने कि

कितना चाहूं हंसाना
फिर भी रूठा रहता हैं
ना जाने किस दर्द में जीता हैं
खुद को तो ऐसे दिखाता है मेरे सामने
जैसे  कोई दर्द ही ना हो
पर अकेले में बैठ के अंदर ही अंदर रोता हैं

©Jha Pallavi Jha #Hasana
कितना चाहूं हंसाना
फिर भी रूठा रहता हैं
ना जाने किस दर्द में जीता हैं
खुद को तो ऐसे दिखाता है मेरे सामने
जैसे  कोई दर्द ही ना हो
पर अकेले में बैठ के अंदर ही अंदर रोता हैं

©Jha Pallavi Jha #Hasana