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सफ़र में साथ थे पहोंचना कहीं न था फिर एक मोड़ आया हम

सफ़र में साथ थे पहोंचना कहीं न था
फिर एक मोड़ आया हमराह वो मुड़ गया

एक मिसरा था वो एक मिसरा था मैं
 एक शेर मुक़म्मल होते होते  रह गया 6/3/22
सफ़र में साथ थे पहोंचना कहीं न था
फिर एक मोड़ आया हमराह वो मुड़ गया

एक मिसरा था वो एक मिसरा था मैं
 एक शेर मुक़म्मल होते होते  रह गया 6/3/22