सहमा सहमा डरा सा रहता है जाने क्यूँ जी भरा सा रहता है इश्क में और कुछ नहीं होता आदमी बावरा सा रहता है एक पल देख लूँ तो उठता हूँ जल गया सब जरा सा रहता है