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इक आग जल रही है वो उम्र ढल रही है इसे समेट रहीं

इक आग जल रही है  वो उम्र ढल रही है  इसे समेट रहीं हूं कबसे
पर रेत के तरह फिसल रही है,

बचपना खों रहा है 
समझदारीयां बढ़ रहीं हैं,

अब तो संजीदा हो जा 
बढ़ती उम्र बस यही कह रही है!! अब तो संजीदा हो जा!!
#nojoto
#nojotohindi
#nojotoshayari
इक आग जल रही है  वो उम्र ढल रही है  इसे समेट रहीं हूं कबसे
पर रेत के तरह फिसल रही है,

बचपना खों रहा है 
समझदारीयां बढ़ रहीं हैं,

अब तो संजीदा हो जा 
बढ़ती उम्र बस यही कह रही है!! अब तो संजीदा हो जा!!
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