क्या लिखूँ रक्त रंगों से सजी हुयी, प्रेम रसो की पुढियां। देखन में कोमल, सहनशीलता की गुड़िया। देवलोक की बिम्ब, धरती पर ईश्वर का प्रतिबिंब। रस रोशन में मीठा श्लोक, ममतामयी है उद्घोष।। ©PanditAbhishek Rishi सहनशील महिला #PanditAbhishek