मुश्किलात के अंगार ही मिले मुझे अपने सफर में कई पेचों ग़म मिले हर डगर पे पाक साफ होना गुनाह सा लगने लगा मुझे जब चुभने लगा पूरे शहर की नज़र में जब जुगनू और चांदनी ने भी मुँह फेर लिया एक उम्मीद की किरण दिखी जब हाथ बढ़ाया मेरी हमसफर ने रवि लाम्बा ©Dr Ravi Lamba #tehzeebhafipoetry #rahatindori #hindi_poetry #urdu #Urdughazal #hindi_shayari #hindiwriters #paper