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रफ्ता रफ्ता दिन सभी गुजरते चले जा रहे है कुछ पुरा

रफ्ता रफ्ता दिन सभी गुजरते चले जा रहे है 
कुछ पुराने छूट चले है कुछ नए भी आ रहे है 
पर भूले न जिनको वो तुम रहना क्यूकि
कुछ हंस रहे है और कुछ गा रहे है ।
 
जीवन की इस बेला में, कष्ट सभी ने पाले है 
लहू चुका चले जो मिट्टी का, ऐसे भी रखवाले है 
पर प्राण दान जो मिट्टी पर हो
वो बलिदान कहा मिलेगा 
इस मिट्टी पर जन्मे है  हम इस मिट्टी के रखवाले है । #Shayar
रफ्ता रफ्ता दिन सभी गुजरते चले जा रहे है 
कुछ पुराने छूट चले है कुछ नए भी आ रहे है 
पर भूले न जिनको वो तुम रहना क्यूकि
कुछ हंस रहे है और कुछ गा रहे है ।
 
जीवन की इस बेला में, कष्ट सभी ने पाले है 
लहू चुका चले जो मिट्टी का, ऐसे भी रखवाले है 
पर प्राण दान जो मिट्टी पर हो
वो बलिदान कहा मिलेगा 
इस मिट्टी पर जन्मे है  हम इस मिट्टी के रखवाले है । #Shayar