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तरसती निगाहें तेरे, हुस्न-ऐ-दीदार को तकना चाहें..

 तरसती निगाहें तेरे,
हुस्न-ऐ-दीदार को तकना चाहें..!

ढूँढे वजूद तेरे इश्क़ का ख़ुद में,
और मोहब्बत को हम नज़दीक पायें..!

न तोड़े विश्वास एक दूजे का,
चलो कसमें सच्ची खायें..!

मिल जायें जल में रंग बनकर,
जीवन को खूबसूरत बनायें..!

रूह के रिश्ते अंतिम सांस तक चले,
घायल पंछी से न हम फडफ़ड़ाएं..!

एक दूजे का सहारा बनें,
मुश्किल डगर पे न लड़खड़ाएँ..!

थाम कर हाथ एक दूजे का,
अपने जीवन में खुशियों का महल सजाएँ..!

©SHIVA KANT
  #Tarasti_hai_nighahein