Nojoto: Largest Storytelling Platform

त्रिकाल दर्शी शिव वो जो बैठा कैलाश में ध्यान रमाए

त्रिकाल दर्शी शिव

वो जो बैठा कैलाश में ध्यान रमाए,
जिसकी जटा में पापनाशिनी गंगा समाए,
वो आंख मूंद ध्यान कर रहा है,
होकर घोड़ तपस्या में लीन पाप पुण्य का लेखा जोखा कर रहा है,

वो त्रिकाल दर्शी है, उमापति है,
क्रोध से जिसके कांपती समस्त धरती है,
वो मानव और भूत प्रेतों का आराध्य है,
वो करता नहीं भेदभाव देवों और दानवों के मध्य है,

वो कामदेव को भस्म कर काम पर विजय प्राप्त करते हैं, 
त्रिपुर को ध्वस्त कर त्रिपुरारी नाम अर्जित करते हैं,
सोने की लंका दशानन को भेंट कर खुद को कैलाश में विराजमान करते हैं,
माता सती के वियोग में  प्रजापति दक्ष के सर को धर से अलग कर दंडित करते  हैं 

अपने भोलेपन में भस्मासुर को वरदान देकर श्री हरि का आप आवाह्न करते हैं,
समुद्र मंथन से उत्पन्न हुए कालकूट विष का पान कर सबको भय मुक्त करते हैं,
चंद्र देव को शाप मुक्त कर अपने शीर्ष पर स्थान देते हैं,
लेकर रुद्रावतार महाबली हनुमान के रूप में श्री राम का लंका विजय में सहयोग करते  हैं 

अल्पायु ऋषि मार्कण्डेय को यमराज से सुरक्षित कर चिरंजीवी होने का वरदान देते  हैं, 
महाकवि विद्यापति के भक्ति से प्रसन्न होकर आप उगना के रूप में उनके घर नौकरी करते हैं,
भक्तों के बीच रहने के लिए  पृथ्वी के बारह स्थानों  में ज्योतिर्लिंग रूप में प्रकट होते हैं,
श्रृष्टि के आरंभ और अंत कहलाने वाले शिव हमेशा भक्तों की पुकार में उनका उद्धार करते  हैं।

©Avinash Lal Das # Lord Shiva
त्रिकाल दर्शी शिव

वो जो बैठा कैलाश में ध्यान रमाए,
जिसकी जटा में पापनाशिनी गंगा समाए,
वो आंख मूंद ध्यान कर रहा है,
होकर घोड़ तपस्या में लीन पाप पुण्य का लेखा जोखा कर रहा है,

वो त्रिकाल दर्शी है, उमापति है,
क्रोध से जिसके कांपती समस्त धरती है,
वो मानव और भूत प्रेतों का आराध्य है,
वो करता नहीं भेदभाव देवों और दानवों के मध्य है,

वो कामदेव को भस्म कर काम पर विजय प्राप्त करते हैं, 
त्रिपुर को ध्वस्त कर त्रिपुरारी नाम अर्जित करते हैं,
सोने की लंका दशानन को भेंट कर खुद को कैलाश में विराजमान करते हैं,
माता सती के वियोग में  प्रजापति दक्ष के सर को धर से अलग कर दंडित करते  हैं 

अपने भोलेपन में भस्मासुर को वरदान देकर श्री हरि का आप आवाह्न करते हैं,
समुद्र मंथन से उत्पन्न हुए कालकूट विष का पान कर सबको भय मुक्त करते हैं,
चंद्र देव को शाप मुक्त कर अपने शीर्ष पर स्थान देते हैं,
लेकर रुद्रावतार महाबली हनुमान के रूप में श्री राम का लंका विजय में सहयोग करते  हैं 

अल्पायु ऋषि मार्कण्डेय को यमराज से सुरक्षित कर चिरंजीवी होने का वरदान देते  हैं, 
महाकवि विद्यापति के भक्ति से प्रसन्न होकर आप उगना के रूप में उनके घर नौकरी करते हैं,
भक्तों के बीच रहने के लिए  पृथ्वी के बारह स्थानों  में ज्योतिर्लिंग रूप में प्रकट होते हैं,
श्रृष्टि के आरंभ और अंत कहलाने वाले शिव हमेशा भक्तों की पुकार में उनका उद्धार करते  हैं।

©Avinash Lal Das # Lord Shiva